November 9, 2024
Short Stories In Hindi With moral

Best Hindi Story Collaction Short Stories In Hindi With moral for Kids


Table of Contents

 चार मूर्ख


एक जंगल मे एक ऊँचे पेड़ पर एक काली चिडि़या रहती थी। जब वह गाती तो उसकी चोंच से सोने के दाने झड़ते थे। संयोग से एक दिन एक बहेलिए की नजर उस पर पड़ गयी। चिडि़या के मुँह से सोने के दाने झरते देख वह फूला नही समाया उसने मन ही मन कहा, “वाह! कितनी अच्छी तकदीर है मेरी! मैं इस चिडि़या को पकड़ कर अपने घर ले जाऊँगा। यह मुझे रोज सोने के दाने देगी। मैं धनवान हो जाऊँगा।”

फिर बहेलिए ने चिडि़या को पकड़ने के लिए उसने जमीन पर अपना जाल फैलाकर उस पर चावल के कुछ दाने बिखेर दिए। काली चिडि़या दाने चुगने नीचे उतरी और जाल मे फँस गई। बहेलिए ने चिडि़या को पकड़ लिया फिर उसे वह अपने घर ले गया। उस दिन से बहेलिए को रोज सोने के दाने मिलने लगे। देखते देखते वह अमीर आदमी बन गया। उसने सोचा! कि उसे कुछ प्रसिद्धि और सम्मान मिलना चाहिए। इसलिए उसने चिडि़या के लिए सोने का पिजड़ा बनवाया। फिर उसने वह चिडि़या राजा को भेंट कर दी। उपहार देते हुए राजा से कहा। महाराज!, “यह चिडि़या आपके महल मे मधुर गीत गाएगी। आपको सोने के कुछ दाने भी देगी।” यह उपहार पाकर राजा बहुत प्रसन्न हुआ। उसने बहेलिए को अपने दरबार मे ऊँचा ओहदा दिया। जल्द ही राजा के पास ढेर सारे सोने के दाने जमा हो गए राजा ने वह सोने की चिडि़या रानी को भेंट कर दी। रानी ने पिंजड़े का दरवाजा खोलकर चिडि़या को आजाद कर दिया और सोने का पिजड़ा शाही सुनार को देकर कहा। इस सोने के पिजड़े से मेरे लिए सुंदर सुंदर गहने गढ़ दो।

चिडि़या उड़ती हुई वापस जंगल मे चली गई। अब रोज सबेरे वह चार मूर्खो का गाना गाने लगी। moral stories in hindi jadui pencil

पहली मूर्ख मैं थी। जो बहेलिए के जाल में फंसी।।
दूसरा मूर्ख बहेलिया था। जिसने मुझे राजा को भेंट कर दिया।।
तीसरा मूर्ख राजा था। जिसने मुझे रानी को दे दिया।।
चौथी मूर्ख रानी थी। जिसने मुझे आजाद कर दिया।।


 फलवाला और पंसारी


एक बार एक पंसारी ने एक फलवाले से उसका तराजू और बाट उधार लिए कुछ दिनो बाद फलवाले ने पंसारी से अपने तराजू और बाट वापस मागें पंसारी ने कहा, “कैसा तराजू और बाँट उन्हे तो चूहा खा गया इसलिए मुझे खेद है कि मै उन्हे लौटा नही सकता।”

बेईमान पंसारी की बात सुनकर फल वाले को बहुत गुस्सा आया पर उसने गुस्से को दबाते हुए कहा, “कोई बात नही मित्र! इसमे तुम्हारा कोई दोष नही है मेरी तकदीर खराब है।”
उसके बाद एक दिन फलवाले ने पंसारी से कहा,”देखो! मैं कुछ समान लेने बाहर जा रहा हूँ तुम चाहो तो मेरे साथ अपने बेटे को भेज सकते हो हम लोग कल तक वापस आ जाएगें।”

पंसारी ने बेटे को फलवाने के साथ भेज दिया दूसरे दिन फलवाला लौटा तो वह अकेला था।
अरे! मेरा बेटा कहाँ है? पंसारी ने पूछा,
“क्या बताऊँ तुम्हारे बेटे को सारस उठा ले गया फलवाले ने जवाब दिया!”

“अबे झूठे इतने बड़े लड़के को सारस कैसे उठा ले जा सकता है” पंसारी ने गुस्से से कहा, फलवाले ने जवाब दिया, “उसी तरह जैसे चूहे तराजू और बाँट खा सकते हैं।” पंसारी को अपनी भूल समझ मे आई उसने फलवाले का तराजू और बाट वापस कर दिया वह अाँसू भरी आँखो से बोला, “भाई! मैंने तुम्हारे साथ छल किया मुझे माफ कर दो और मेरा बेटा मुझे लौटा दो।” फलवाले ने पंसारी के बेटे को उसके पिता के पास लौटा दिया। moral stories in hindi jungle book


मूर्ख और ठग

एक गाँव में एक मूर्ख आदमी रहता था गाँव के छोटे छोटे बच्चे उसका मजाक उड़ाते थे। वह लाख चतुर बनने की कोशश करता पर कोई न कोई उसे मूर्ख बनाता रहता।
एक दिन वह अपने घोड़े और बकरी बेचने बजार जा रहा था वह घोड़े पर सवार था उसने बकरी के गले मे घंटी बाँध रखी थी रस्सी का एक हिस्सा बकरी के गले मे दूसरा हिस्सा घोड़े की पूँछ से बाँध रखा था। मूर्ख को जानने वाले कुछ ठग उसका पीछा कर रहे थे उनमे से एक ठग ने बकरी के गले से घंटी खोलकर घोड़े की पूँछ में बाँध दी इसके बाद बकरी को लेकर रफूचक्कर हो गया, घोडे़ की पूँछ पर बँधी घंटी बजती रही और मूर्ख यही समझता रहा कि बकरी उसके पीछे पीछे आ रही है थोड़ी देर बाद दूसरा ठग आया उसने मूर्ख को रोककर पूँछा, “भाई साहब आपने अपने घोड़े की पूँछ में यह घंटी क्यों बाँध रखी है।” उस मूर्ख ने पीछे मुड़कर देखा तो बकरी नदारद थी उसे बड़ा ताज्जुब हुआ।

तभी तीसरा ठग आ पहुँचा उसने मूर्ख से कहा, “मैंने अभी देखा है कि एक आदमी तुम्हारी बकरी को लिए भागा जा रहा है अगर तुम मुझे अपना घोड़ा दे दो तो मैं उसका पीछा करके तुम्हारी चुराई गई बकरी वापस ला सकता हूँ!”मूर्ख तुरंत घोड़े पर से उतर पड़ा और उसने घोड़ा तीसरे ठग के हवाले कर दिया। वह मूर्ख को चिढ़ाता हुआ घोड़े को लेकर सरपट भाग गया बेचारा मूर्ख बहुत देर तक अपने पशुओ को पाने का इंतजार करता रहा पर जब वह राह देखते देखते थक गया और ठग लौट कर नही आया तो वह खाली हाथ ही घर वापस लौट आया।

दूर कहीं घंटी बजती रही और तीनो ठग गाते रहे,
घंटी घंटी बजती रहो,
रातोदिन गाती रहो,
जीवन एक खेल है सुनहरा। moral stories in hindi jadui chakki

Moral Of Story : – मूर्ख की तकदीर कभी लंबे समय तक उसका साथ नही देती


 दो मेढक

एक बार दो मेढ़क दूध से भरे एक मटके में गिर गए। मटके से बाहर आने के लिये वे दूध में गोल गोल तैरने लगे। मगर उनके पैरो को कोई ठोस आधार नही मिल रहा था। इस लिये छलांग लगाकर बाहर आना उनके मुश्किल हो गया। कुछ देर बाद एक मेढ़क ने दूसरे से कहा, “मै बहुत थक गया हूॅ।

अब मै ज्यादा तैर नही सकता!” वह हिम्मत हार गया। उसने मटके से बाहर निकलने की कोशिश छोड़ दी। इसलिए वह मटके के दूध मे डूब कर मर गया।
दूसरे मेढ़क ने सोचा, “मै अपनी कोशिश नही छोडूगा। मैं तब तक तैरता रहूँगा जब तक कोई रास्ता नही निकल आता” वह तैरता ही रहा इस प्रकार उसके लगातार तैरने से दूध मठ उठा और उसके ऊपर माखन जमा हो गया

कुछ देर बाद मेढ़क ने माखन के गोल पर चढकर जोर की छलांग लगाई वह मटके के बाहर आ गिरा। moral stories in hindi jungle book

Moral Of Story -ईश्वर उसी की मदद करता है जो स्वयं अपनी मदद करता है


स्वार्थी दोस्त


श्याम और राम अच्छे मित्र थे। एक दिन वे जंगल से होकर जा रहे थे। रास्ते में उन्हे एक रीछ दिखाई दिया, वह उनकी तरफ आ रहा था। श्याम तुरंत भाग कर पास के पेड़ पर चढ़ गया। राम को पेड़ पर चढ़ना नही आता था। पर उसने सुना था। कि जानवर मरे हुए लोगो को कुछ नही करते। इस लिये वह स्थिर होकर जमीन पर लेट गया। उसने अपनी आँखे मूँद ली। और साँस रोक ली रीछ राम के पास आया। उसने चेहरे को सूघाँ।

उसे लगा कि वह मर चुका है। और रीछ आगे बढ गया। जब रीछ कुछ दूर चला गया। तो श्याम पेड़ से उतरा उसने राम से पूँछा, “रीछ तुम्हारे कान मे क्या कह रहा था?” राम ने जवाब दिया, “उसने कहा कि स्वार्थी लोगो से दूर रहो।” हिंदी कहानियां राजा महाराजाओं की

Moral Of Story -समय पर वर्क मे आने वाला मित्र ही सच्चा मित्र है


गधा और मूर्ति

एक गाँव मे एक मूर्तिकार रहता था। वह देवी देवी देवताओ की सुन्दर मूर्तिया गढ़ा करता था। एक बार उसने भगवान की एक बहुत सुंदर मूर्ति गढ़ी। वह मूर्ति उसे ग्राहक के पास पहुचानी थी। इसलिए उसने कुम्हार से
गधा किराए पर लिया। फिर उसने मूर्ति गधे पर लादी और चल पड़ा रास्ते मे जो उस मूर्ति को जो देखता पल भर रूककर मूर्ति की तारीफ जरूर करता। कुछ लोग उस मूर्ति को देखते ही झुककर प्रणाम करते।

यह देख कर उस मूर्ख गधे ने सोचा कि लोग उसी की प्रशंसा कर रहे हैं। और उसी को झुककर प्रणाम कर रहे है वह अकड़कर सड़क के बीच खड़ा हो गया। और जोर जोर से रेंकने लगा। मूतिकार ने गधे को पुचकार कर चुप करने की।

बहुत कोशिश की। पर गधा रेकंता ही रहा। अंत मे उस मूर्तिकार ने डंडे से उसकी खूब पिटाई की। मार खाने के बाद गधे का सारा घंमड उतर गया। उसका होश ठिकाने आया। और वह फिर चुपचाप चलने लगा।  हिंदी कहानियां मजेदार कॉमेडी

Moral Of Story -समझदार के लिए इशारा और मूर्खो के लिए डंडा


लकड़हारा और देवदूत

एक लकड़हारा था। एक बार वह नदी के किनारे एक पेड़ से लकड़ी काट रहा था। एकाएक उसके हाथ से कुल्हाड़ी छूटकर नदी मे गिर पड़ी। नदी गहरी थी। उसका प्रवाह भी तेज था। लकड़हारे ने नदी से कुल्हाड़ी निकालने की बहुत कोशिश की पर वह उसे नही मिली इससे लकड़हारा बहुत दुखी हो गया। इतने देवदूत मेवहाँ से गुजरा लकड़हारे को मुँह लटकाए खड़ा देख कर उसे दया आ गई। वह लकड़हारे के पास आया और बोला चिंता मत करो। मैं नदी से तुम्हारी कुल्हाड़ी अभी निकाल देता हूँ। यह कहकर देवदूत नदी मे कूद पड़ा देवदूत पानी से निकला तो उसके हाथ मे सोने की कुल्हाड़ी थी। वह लकड़हारे को सोने की कुल्हाड़ी देने लगा। तो लकड़हारे ने कहा,”नही नही यह कुल्हाड़ी मेरी नही है। मैं इसे नही ले सकता।”

देवदूत ने फिर नदी में डुबकी लगाई इसबार वह चाँदी की कुल्हाड़ी लेकर बाहर आया ईमानदार लकड़हारे ने कहा, “यह कुल्हाड़ी मेरी नही है।

देवदूत ने तीसरी बार पानी मे डुबकी लगाई इस बार वह एक साधारण सी लोहे की कुल्हाड़ी लेकर बाहर आया।
हाँ यह मेरी कुल्हाड़ी है। लकड़हारे ने खुश होकर कहा।

उस गरीब की ईमानदारी देखकर देवदूत बहुत प्रसन्न हुआ। उसने लकड़हारे को उसकी लोहे की कुल्हाड़ी दे दी। साथ ही उसने सोने और चाँदी की कुल्हाडि़याँ भी उसे पुरस्कार के रूप मे दे दीं। हिंदी कहानियां जादूगर

Moral Of Story -ईमानदारी से बढ़कर कोई चीज नही।

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